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रामकथा में धर्म और भक्ति की धुरी हैं भरत – आचार्य भारतभूषण जी, महाराज

बक्सर पब्लिक न्यूज़ :- बक्सर रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में आयोजित नौदिवसीय श्रीराम कथा के सातवें दिन प्रवचन करते हुए प्रख्यात भागवत-वक्ता आचार्य डॉ भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि मंथरा के कारण अयोध्या अशांत हो गई थी।

कभी भी कुसंग से अच्छा फल नहीं मिल सकता।कैकेयी को मंथरा की दुर्बुद्धि ने लोक में कलंकित कर दिया।पति, पुत्र और लोक ने उसे त्याग दिया।भरत जी ने कैकेयी के पुत्र होने के बावजूद श्रीराम भक्ति का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह समाज के लिए न केवल अनुकरणीय है ।

भाई का अर्थ और भाई का आदर्श भरत और राम के चरित्र से और माता का आदर्श कौशल्या और सुमित्रा के चरित्र से प्राप्त किया जा सकता है। आचार्य ने कहा कि रामकथा समाज और परिवार की शुद्धि और शक्ति का विधायक ग्रंथ है। राम कथा से परिवार और समाज को सन्मार्ग तथा सुव्यवस्थित रीति से जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर आचार्य कृष्णानंद शास्त्री “पौराणिक जी”, आचार्य रणधीर ओझा जी, मुख्य यजमान कमलेश्वर तिवारी, वीरेंद्र नाथ चौबे तथा मंदिर के सचिव रामस्वरूप अग्रवाल ने व्यासपीठ का पूजन किया।संचालन ब्रजकिशोर पांडेय ने किया।

डॉ छविनाथ त्रिपाठी, डॉ ललितेश्वर शुक्ल “वैदिकजी”,प्रो त्रिलोकी नाथ पांडेय, सुरेंद्र राय, सत्यनारायण राय,रामगृही पाठक, कन्हैया पाठक, रामस्नेही उपाध्याय, अमरेंद्र चौबे,पं अनिल जी, पं अमलेश्वर उपाध्याय,पं शिव जी पांडेय, मनोज उपाध्याय सहित अन्य श्रद्धालुओं ने कथा में भाग लिया।

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